संभाल के समेटना इन दियों को सारी रात हमें रोशनी देने के लिए खुद की तपिश में जलती रही। संभाल के समेटना इन दियों को सारी रात हमें रोशनी देने के लिए खुद की तपिश मे...
तू मुझमें मैं तुझमें देखूं, ऐसी दिवाली मनायें। तू मुझमें मैं तुझमें देखूं, ऐसी दिवाली मनायें।
इसके हर ज़र्रे में चुनवाया है मैंने, तुम्हारी स्मृतियों के ज्योति-पुंज...! इसके हर ज़र्रे में चुनवाया है मैंने, तुम्हारी स्मृतियों के ज्योति-पुंज...!
जैसा चाहे वैसे ढालती घर आंगन परिवार अपना। जैसा चाहे वैसे ढालती घर आंगन परिवार अपना।
ये तन और मन तेरा प्यासा नित प्रीत फुहार धार माँगे। ये तन और मन तेरा प्यासा नित प्रीत फुहार धार माँगे।
इस जड़ को आओ मिलकर मिटाए आओ शिक्षा की ज्योति जलाए। इस जड़ को आओ मिलकर मिटाए आओ शिक्षा की ज्योति जलाए।